हेलो दोस्तों , श्री कृष्णा जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें।।कृष्ण जन्माष्टमी आने वाली है। यह बहुत ही आनंदायक पर्व है। श्रद्धा एवं भक्ति का यह त्यौहार अत्यंत हर्षोउल्लास के साथ न केवल भारत में बल्कि पुरे विश्व में मनाया जाता हैं। इस दिन कृष्ण जी की झांकिया लगायी जाती है। इन झांकियों में कृष्ण जी के जीवन की कहानिया दर्शाई जाती है। कृष्ण जी को कई नामो से जाना जाता है जैसे कान्हा, श्रीकृष्णा, गोपाल, घनश्याम, बाल मुकुन्द, गोपी मनोहर, श्याम, गोविंद, मुरारी, मुरलीधर।आइये जानते है श्री कृष्ण जन्माष्टमी डेकोरेशन आइडियाज .पूजा,भोग,आरती 2021 के बारे में
“॥ श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा॥ “
श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है – श्री कृष्ण जन्माष्टमी ३० अगस्त को मनाया जायेगा
महत्त्व-श्री कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाते है ?
श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्यरात्रि को मथुरा में जन्म लिया। इसलिये भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आज के दिन मथुरा पहुंचते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा कृष्णमय हो जाता है। मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। ज्न्माष्टमी में स्त्री-पुरुष बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। और रासलीला का भी आयोजन होता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर ये चीज़े जरूर भोग में लगाए
वैसे तो लोग 56 भोग लगाते है परन्तु कृष्ण जी को ये 6 चीजे अत्यंत प्रिय हैं। कृष्ण जन्माष्टमी को भोग में इन 6 चीज़ो को अवश्य लगाना चाहिए।
माखन मिश्री
नारियल पाग
डॉयफ्रुइट्स पाग
मखाना पाग
पंचामृत और पंजीरी
फ्रूट्स
श्रीकृष्ण जन्मास्टमी पर पूजा कैसे करते है
पूजा सामग्री
एक खीरा,
तुलसी का पत्ता,
माखन, मिश्री,
चौकी, सिंहासन,पीला साफ कपड़ा,
पंचामृत, गंगाजल, दूध, दही, शहद,
दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती,
चंदन, अक्षत यानी साबुत चावल,
कृष्ण के बाल रूप की मूर्ति (जिन्हे हम लड्डू गोपाल जी भी कहते है) ,
भोग
विधि
इस दिन जल्दी स्नान करे। और स्नान के बाद अगर आप व्रत रखते है तो व्रत का संकल्प करे। उसके बाद भगवान् श्री कृष्णा की चौकी को सजाये।चोकी को पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की और ही रखे। चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाए और भगवान् का सिंघासन रखे। सिंघासन को फूलों से सजाये। कलश स्थापित करे। कलश के लिए एक लोटे पर आम के पत्ते व् नारियल रखे एवं लोटे पर स्वस्तिक को बनाये। थाली में कुमकुम, चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी दल, मौली, कलावा, रख लें। और लड्डू गोपाल को स्नान करा के कुमकुम, चंदन, अक्षत, पुष्प, चढ़ाये। दाहिने हाथ पर घी का दीपक जलाये और कृष्ण जी की आरती करे
इस दिन तीन समय पूजा करने का विधान है। व्रत रखने के बाद रात् 8 बजे पूजा पुन:आरम्भ करें और एक खीरे को काटकर उसमें श्रीकृष्ण का विग्रह रूप स्थापित करें। अगर आपके पास सालिग्राम है तो उन्हें खीरे के अंदर रखे अर्थात् श्री कृष्ण अभी मां के गर्भ में है, इसके बाद लगभग रात्रि 10 बजे विग्रह अर्थात लड्डू गोपाल को खीरे से निकाल कर पंचामृत से उसका अभिषेक करें। पंचामृत में विधमान दूध से वंशवृद्वि, दही से स्वास्थ्य, घी से समृद्वि, शहद से मधुरता, बूरा से परोपकार की भावना एवं गंगा जल से भक्ति की भावना प्राप्त होती है। श्रीकृष्ण को पंचामृत का अभिषेक शंख से करने से कई गुणा फल प्राप्त होता है।
इसके बाद भगवान् को भोग लगाए। इसके बाद तीसरे चरण की पूजा रात्रि 12 बजे आरम्भ करें क्योंकि श्रीकृष्ण जी का इस धरती पर प्राकट्य रात्रि 12 बजे हुआ था।जन्म के दौरान ‘नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की’ जरूर गाएं। इसके बाद इस समय भगवान श्रीकृष्ण का निराजन 11 अथवा 21 बत्तियों के दीपक से करें। आरती करे एवं भजन जरूर गाये। इसके बाद भगवान् के समीप बैठ कर प्रसाद ग्रहण करे
श्री कृष्ण जन्माष्टमी डेकोरेशन आइडियाज
श्री कृष्णा जन्माष्टमी डेकोरेशन के लिए सबसे पहले एक अच्छा सा बैकड्रॉप बनाये। एक अच्छा बैकड्रॉप डेकोरेशन में चार चाँद लगा देता है। चलिए देखते हे कुछ फेस्टिव बैकड्रॉप आइडियाज।












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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर देखिये अद्भुत अभिषेक श्री कृष्ण और राधा रानी का
———कान्हा जी की आरती —————
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक,कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।बजे मुरचंग,मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस,
जटा के बीच,हरै अघ कीच,चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू,हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥